फरमाइशें
फरमाइशें


कभी हम जाना चाहे घूमना तो कभी कुछ हम चाहते हैं खाना
और अगर कभी हम रूठ जाएं तो तुम्हारा फर्ज है हमें मनाना
कभी हमें चाहिए कपड़े तो कभी चाहिए होता एक हार है
ना जाने लोग क्यों कहते हैं की हमें पढ़ती बहुत मार है
कभी हमें जाना है शिमला तो कभी हमें चाट पकौड़ी का स्वाद लेना है
कंजूसी हम करते है पर यह चीजों के लिए पैसा तो देना है
कभी फिजूल खर्ची तो अभी हिसाब से हम चलते हैं
क्या करें पर फरमाइशों के आगे हम कुछ नहीं कर पाते हैं
फरमाइशों के बिना जीवन में ना होता कोई मजा है
फरमाइशों पर काबू करना सच में एक सजा है।।