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Dr Sanjay Saxena

Comedy

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Dr Sanjay Saxena

Comedy

बुलडोजर

बुलडोजर

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जब हम छत की सीढ़ी चढ रहे थे

पड़ोसन के नैन हमसे लड़ रहे थे

फिर हमने उसे प्यारी धुन सुनाई

उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आई

ताकते रहते तुझको सांझ सवेरे

उसने बिखराए अपने बाल घनेरे

ग्रीन सिगनल समझ हमने कदम बढ़ाया

तभी लगा जैसे कोई भूकंप आया

फिर लगा.. हम सूली पर लटक गए

प्यार भरे मिलन के विचार भटक गए

पीछे मुड़कर देखा ...(पत्नी)

बुलडोजर सी थी वह खड़ी

मेरी जान आफत में पड़ी

वह बोली प्यार में

अतिक्रमण कर रहे हो

क्या बुलडोजर की खबरें

नहीं पढ़ रहे हो

तुम्हारे मंसूबों पर

बुलडोजर चलाना पड़ेगा

घर के काम के साथ

मेरे हाथ पांव दबाना पड़ेगा

मनहूस बुलडोजर ने मेरे प्यार का

ऐसा भवन गिराया

पड़ोसन का चेहरा कभी

ख्वाब में भी नजर ना आया।

                        



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