बेटी का दर्द
बेटी का दर्द
क्या बेटी को दर्द नहीं होता
उस दर्द का संदर्भ नहीं होता
बचपन में वह डांट खाती है
फिर ताउम्र उसे छुपाती है
पढ़ने पढ़ाने का जब वक्त आया
टीचर ने उसको आंख दिखाया
अब उसका दिल भर आया
उसके मन में दर्द उभर आया
लड़कपन हंसते खेलते यों रोता
अपने अनमोल आंसुओं को खोता
जैसे नीड से उड़ जाता परिंदा तोता
बेटी मार बैठी अपने गमों में गोता
जाग उठी यों जैसे नींद से कोई सोता
संभालता कोई अगर जो अपना होता
संभालता अगर..........................