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Akash Chauhan

Children Stories Comedy

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Akash Chauhan

Children Stories Comedy

मेरा विद्यार्थी जीवन

मेरा विद्यार्थी जीवन

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दोस्ती और प्यार के कुछ अंतर बतलाता हूं। 

आओ मैं तुम्हे अपनी दुनिया दिखलाता हूं।।


8 पास कर 9 में पहुंचा मैं बिल्कुल नादान था।

हाईस्कूल की दुनिया से भी मैं बिल्कुल अनजान था।।


लड़ना, झगड़ना, लड़की ताड़ना मुझको कभी न आया था।

मैं इतना सीधा था की कान्हा भी देख न पाया था।।


दिया परीक्षा 10वीं की फिर यार नए कुछ बन बैठे।

नया साल था क्लॉस नई इतिहास नया कुछ रच बैठे।।


बात सुनो अब 11 की बायोलॉजी सेक्शन अपना था।

7 दिनों सा अपना साथ था 7 जाने हम ग्रुप को जोड़ें।।

साथ साथ कॉलेज हम जाए 1 साथ 2 बेचें तोड़े।।।


हुआ जो मध्यावकाश कक्ष में सब बच्चे खाना खाते थे।

सिगरेट के धुर्वे से छल्ले बनाने हम गेट के बाहर जाते थे।।


घर ने निकले बैग उठाएं टिफिन में भर भर खाना लाएं।

कॉलेज से निष्कासित थे हम 1 दोस्त के बगिया जाएं।।


आई घड़ी जब पेपर की सारी करतूत दिखाना था।

1 साल तो कुछ न किया पर पेपर पास कराना था।।


हुई सुबह सब कॉलेज पहुंचे हाथ में पेपर कॉपी आए।

इक दूजे को सकल देख फिर कॉपी पर यूं लिख आए।।


गर फेल किया पेपर में हमको चौराहे पर दिख लेना।

उल्टा टांग के मरेंगे बस गुरु जी नम्बर कम देना।।



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