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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Comedy

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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Comedy

टाइपराइटर

टाइपराइटर

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कभी जिसका बोलबाला था वह आज कोने में पड़ा है 

अपनी उपेक्षा से टाइपराइटर बुजुर्गों सा दुखी बड़ा है 

जब लिली मैडम की नर्म उंगलियां का स्पर्श होता था 

तब उस टाइपराइटर के दिल में भी कुछ कुछ होता था 

मैडम की उड़ती हुई जुल्फ जब उससे लिपट जाती थी 

उसकी खुशबू से टाइपराइटर की जान पर बन आती थी 

लिली के परफ्यूम से वह भी सारा दिन महकता था 

उसकी नशीली आंखों की मय पीकर वह भी बहकता था 

उन दोनों के प्यार के किस्से ऑफिस में मशहूर हो गये 

प्यार के दुश्मन बाबू लोग यह देख देखकर क्रूर हो गये

जलन के मारे बॉस से टाइपराइटर की शिकायत कर दी 

बॉस ने भी उसको ठिकाने लगाने की पूरी व्यवस्था कर दी 

लिली के हुस्न पर बॉस का दिल भी बड़ा आशिकाना था 

लिली को अपने नजदीक लाने का एक अच्छा बहाना था 

एक नया कम्प्यूटर खरीदकर अपने चैंबर में लगवा लिया

बेदर्द जमाने ने बेचारे टाइपराइटर को कचरे में फिंकवा दिया 

प्यार की दुश्मन इस दुनिया को इश्क नागवार लगता है 

पत्थर दिल इंसानों को ये प्यार व्यार सब बेकार लगता है।



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