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V. Aaradhyaa

Comedy

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V. Aaradhyaa

Comedy

चतुर चंचला ने फिर छला

चतुर चंचला ने फिर छला

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आज कुछ हास्य के रंग....


मोहिनी के बड़े मोहक से

मनभावन अंदाज़ देखकर ,

मोहित को मोह हो आया !

कुछ और करके थोड़ा और,

सरक कर और करीब आया!


मोहिनी बड़ा इतराकर बोली,

यह विशुद्ध प्रेम है या मोह है ?

क्या तुम मुझसे इतना प्रेम करते हो,

कि सह नहीं पाते पल भर का विछोह!


मोहित ने अब दार्शनिक अंदाज़ में कहा ,

अरे, मोहिनी,प्रेम भी तो मोह ही है ना...!

जो हमेशा मन को मोहता ही रहता है ,

और सदा अपने प्रेमी की बाट जोहता है !


चतुर चंचला मोहिनी किंचित मुस्कुराई ,

त्रियाचरित्र को पूरी तरह घोटकर थी आई!

अब प्रिया मोहित के और भी करीब आई !

मोहित ने सोचा,अपनी तो लॉटरी लग आई !


बड़ी कुशल और समझदार निकली मोहिनी ,

अगले ही पल उसके हाथ में थी सिंदूरदानी !

बोली, मेरे मोहन, मोह को प्रेम बनाओ ,

अब के आप बस मेरी मांग भर जाओ !



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