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vatsal singh

Abstract

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vatsal singh

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मत बैठ तू यूं हारकर

मत बैठ तू यूं हारकर

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माना राहें है मुश्किल, पर ना बैठ तू यूं हारकर      

अगर है परेशानी भला तो आ तू मुझसे बात कर


हवाएं झुका नहीं करती पर्वतों से डरकर          

नदियां रुका नहीं करती चट्टानों से लढ़कर         

जब नहीं रुके वो तो तू क्यों बैठ रहा यूं हारकर    

अगर है परेशानी भला तो आ तू मुझसे बात कर


सदा नहीं मिलती मोती इन रत्नाकर के गोताखोरों को

कई बार कड़वे रस भी मिलते इन बगियन क

े भौरोंको 

जब नहीं थके वो तो तू क्यों बैठ रहा यूं हारकर      

अगर है परेशानी भला तो आ तू मुझसे बात कर


लोगों का काम है कहना ना सोच तू उनकी बातों को  

है हिम्मत कुछ करने की तो छोड़ दे सोना इन रातों को 

जब नहीं कमजोर तू तो क्यो बैठ रहा यूं हारकर     

अगर है परेशानी भला तो आ तू मुझसे बात कर


माना राहें है मुश्किल, पर ना बैठ तू यूं हारकर      

अगर है परेशानी भला तो आ तू मुझसे बात कर।


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