काश वो बचपन कभी खत्म ना होता।
काश वो बचपन कभी खत्म ना होता।
अब तो किताबों को भी बार बार देख मन सा भर गया है
तब की बात कुछ और थी जब उसके चित्र पसंद आते थे
काश वो बचपन कभी खत्म ना होता।
अब तो बाहर निकल दो पग चलाना भी जैसे कोई बड़ा काम हो
तब की बात कुछ और थी जब हेलिकॉप्टर का पीछा कर लिया करते
काश वो बचपन कभी खत्म ना होता।
अब तो अपनों से भी जैसे हम खफा खफा रहने लगे
तब की बात कुछ और थी जब एक दूसरा अपना सा लगता
काश वो बचपन कभी खत्म ना होता।
अब तो हर मोड़ पर सुख दुख प्यार नफरत और क्या कुछ है
तब की बात कुछ और थी जा बस हंसना और रोना पता था
काश वो बचपन कभी खत्म ना होता।
अब तो हर छोटी बड़ी बात पर गुस्सा हो जाना जैसे ट्रेंड हो
तब की बात कुछ और थी जब बातों का मतलब ही नहीं पता था
काश वो बचपन कभी खत्म ना होता।
काश वो बचपन कभी खत्म ना होता।
