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सृष्टि का हर कण, समय का क्षण मैं ही तो हूँ सृष्टि का हर कण, समय का क्षण मैं ही तो हूँ
होते नहीं जिनके ये पूछो उनसे अंतर्मन उनके कितने खिन्न हैं होते नहीं जिनके ये पूछो उनसे अंतर्मन उनके कितने खिन्न हैं
माना जीवन के प्रश्न दुरूह अनुराग ये भी हल हो जाते हैं माना जीवन के प्रश्न दुरूह अनुराग ये भी हल हो जाते हैं
विस्मृत करना पड़ता है अतीत के कुछ वाक़्यातो को। विस्मृत करना पड़ता है अतीत के कुछ वाक़्यातो को।
जड़-चेतन,सृष्टि का कण-कण, प्रेम में ही संलिप्त है। जड़-चेतन,सृष्टि का कण-कण, प्रेम में ही संलिप्त है।