एक नई शुरुआत
एक नई शुरुआत
विस्मृत करना पड़ता है
अतीत के कुछ वाक़्यातो को
जीवन की मंशा भी यही होती
तैयार रहो नई शुरुआतों को
एक नई शुरुआत करने को
मेरे मन ने भी देखो ठाना है
बदला न जो समय के संग
जग ने कब उसको पहचाना है
है नियति सही यदि मानव की तो
शुरुआत सफल हो ही जाती है
और पूर्ण समर्पण हो संग इसके
औरों को भी ये राह दिखाती है
नव वर्ष नव उमंग नव चेतना
तीनों का है ये संयोग मिला
एक नई शुरुआत को हर मन
नव पथ में देखो आज चला
और विस्मृत करना पड़ता...!