दीपक
दीपक
तम को चीरता, तम का
पहरेदार बना आज है दीपक !
प्रकाश का पर्याय, जश्न -ए
दीपावली का संकेत है, दीपक !
रोशनी की जगमगाहट में
बहारों की खुशबू -सा प्रेम के
गीतों की मधुर खनक है ,दीपक!
दीपकों की लौ में शामिल
शरारों की चमक को देखो !
हर्षोउल्लास हंसी, खुशी का
कैसा है? ये सुंदर मंजर देखो !
कुछ इठलाती, कुछ लहराती
प्रति पल कुछ संदेश दे रही
दीप शिखा की लौ को देखो!
केवल सब -ए-जश्न में जल कर,
बुझ जायेगी ये दीपों की माला,
पर हर दिल में होगा उस दिन
सच्चे दीपों का नया उजाला...
जिस दिन "मैं" से हट कर हम पर
हर दिल में पसरेगा जलते दीपों का उजाला!
देख जलते दीपक की चमकीली
कमलनिय-सी इतराती बाती को
यही कामना करता है मन मेरा
हर पल सबका जीवन हो..
जगमग दीपों सा सुंदर और
सजे सबका सांझ सवेरा...