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Rita Jha

Abstract

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Rita Jha

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तांडव

तांडव

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मौसम ने बदला कैसा मिजाज है,

निकलते नहीं आज अल्फ़ाज़ है।


जिधर देखो तबाही का आलम है,

मौन पड़ा जीवन, सदमे में आज है।


महामारी ने पहले ही तांडव मचाया है,

होती सांसों की कमी देख पेड़ लगाया, 


समुद्र से ये यास तूफान उमड़ आया है,

जिसने लगे वृक्षों को उखाड़ गिराया है।


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