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Sunita Shukla

Abstract

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Sunita Shukla

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धन-दौलत

धन-दौलत

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घमंड न कर दुनिया में दौलत का

तकदीर बदलती रहती है।

आज बना है बादशाह कल

दुनिया तुझ पर हँसती हैं।।

इतना भी गुमान ठीक नहीं

पैसा तो है बस हाथों का मैल।

धन सारा यहीं रह जायेगा

और खाली हाथ ही जायेगा।।

सर्वोच्च शिखर पर बैठा तू

धन-दौलत का अंबार लिए ।

थी हेय दृष्टि औरों की खातिर

मन में था अभिमान लिये।।

सुख बहुत भरा था जीवन में

पर शांति का नामोनिशान नहीं।

डाॅलर की अंधी चकाचौंध ने

मन की आँखों को खुलने न दिया।।

भय, शंका और मनमुटाव

अब इनकी यहाँ तिजोरी है।

सुप्त रहा रिश्तों में प्रेम सब

चिन्ता की चली कटारी है।।

दौलत तूने बहुत कमाई

अब कुछ अच्छे कर्म भी कर ले।

स्नेह धर्म का मर्म समझ कर

जीवन को अपने सफल बना ले।।


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