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Vijay Kumar उपनाम "साखी"

Abstract Inspirational

4.5  

Vijay Kumar उपनाम "साखी"

Abstract Inspirational

सच्चा परिवार

सच्चा परिवार

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परिवार से बनता कोई सुखी संसार

परिवार बिन स्वर्ग भी होता है, बेकार

जो परिवार में रहते, वो ही जानते है,

परिवार में होती है, खुशियां बेसुमार


बच्चों को कभीबपता ही न चलता,

बीत जाता उनका बचपन ज़ोरदार

मिलता दादा-दादी से इतना प्यार,

पतझड़ में आ जाती उनके बहार


परिवार से बनता कोई सुखी संसार

परिवार बिन स्वर्ग भी होता है, बेकार

चाचा-चाची से मिलती है, चॉकलेट,

बच्चे कभी नही रहते है, भूखे पेट


संयुक्त परिवार का है, यह चमत्कार

बच्चे का होता है, सर्वांगीण विकास

माता-पिता पर भी रहता नही भार

परिवार में सब ही होते है, जिम्मेदार


परिवार से बनता कोई सुखी संसार

परिवार बिन स्वर्ग भी होता है, बेकार

परिवार में सबका होता है, सत्कार

परिवार वाकई में होता है, मज़ेदार

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दुनिया रंगमंच में परिवार से बनता,  

कोई भी आदमी सच्चा ईमानदार

परिवार से बनता कोई सुखी संसार

परिवार बिन स्वर्ग भी होता है, बेकार


एकल परिवार से होता बड़ा विनाश

यह तलाक के लिये होता जिम्मेदार

दादा-दादी, चाचा-चाची, भैया, भाभी

बहन, पापा-मम्मी से बनता परिवार


जो परिवार में रहते वो है, समझदार

बाकी तो है, बीवियों के आगे लाचार

परिवार से बनता कोई सुखी संसार

परिवार बिन स्वर्ग भी होता है, बेकार


बाकी तो हम दो और हमारे दो,

यह तो स्वार्थ का है, भयंकर तार

लोग कहते है, इसे एकल परिवार

इसमें होता सामाजिकता का नाश


इसलिये छोड़ो दोस्तो एकल परिवार

बंद हो जाएंगे, फिर वृदाश्रम तमाम

जो करते अपने पापा-मम्मी से प्यार

वो बनाते है, सच मे सच्चा परिवार।


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