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Surendra kumar singh

Abstract

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Surendra kumar singh

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विश्वास की बाढ़

विश्वास की बाढ़

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विश्वास की बाढ़ में डूबा हुआ

एक शहर है

आप के शहर में

जैसे शरीर मे परमात्मा।


भजन चल रहे हैं

सत्संग हो रहा है

आनन्द आ ही रहा है

सुंदर सुंदर तमाशों से

तो फिर


खुद आने की क्या

जरूरत थी प्रभु।


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