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Padma Motwani

Abstract

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Padma Motwani

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किसान

किसान

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किसान की बदौलत देश की धरती सोना उगलती

किसान की बदौलत खेतों में फसल लहलहाती।


मेहनतकश किसान देश का होता है अन्नदाता

कड़ी धूप में खेत जोत कर अपना बदन जलाता।


सुबह सवेरे बैलों को हांकते खुशी के है गीत गाता

अभाव में भी उमंग उल्लास, खुद को है उकसाता।


हल बैल, कर्मठ किसान के सच्चे जीवनसाथी होते

उन संग खेतों में चलना, उसे सुख और साहस देते।


जहाँ पर हल बैलों की जोड़ी, हरेभरे खेत और खलिहान,

जहाँ पर नहर और कुएं साथ, उगाए उम्दा अन्न किसान।


राजा प्रजा सब होते ऋणी उसके, देते उसे ऐसा वरदान

हर हाल में सुखी रहें किसान, मिले उसे पूरा सम्मान। 


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