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Swapnil Kulshreshtha

Abstract

4.0  

Swapnil Kulshreshtha

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पछतायेगा कौन....???

पछतायेगा कौन....???

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मैं रूठा,

तुम भी रूठ गई

फिर मनाएगा कौन ?


आज दरार है,

कल खाई होगी 

फिर भरेगा कौन ?


मैं चुप,

तुम भी चुप 

इस चुप्पी को फिर तोडे़गा कौन ?


बात छोटी को लगा लोगी दिल से, 

तो रिश्ता फिर निभाएगा कौन ?


दुखी मैं भी और तुम भी बिछड़कर, 

सोचो हाथ फिर बढ़ाएगा कौन ?


न मैं राजी,

न तुम राजी, 

फिर माफ़ करने का बड़प्पन

दिखाएगा कौन ?


डूब जाएगा यादों में दिल कभी, 

तो फिर धैर्य बंधायेगा कौन ?


एक अहम् मेरे,

एक तेरे भीतर भी, 

इस अहम् को फिर हराएगा कौन ?


ज़िंदगी किसको मिली है सदा के लिए ?

फिर इन लम्हों में अकेला

रह जाएगा कौन ?


मूंद ली दोनों में से गर किसी दिन

एक ने आँखें....

तो कल इस बात पर फिर

पछतायेगा कौन ?



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