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Sudhir Srivastava

Abstract

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Sudhir Srivastava

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ख्वाब प्यारा है

ख्वाब प्यारा है

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ये सिवाय गलतफहमी के

और कुछ नहीं है,

सिर्फ तुम्हारे मन का फितूर है,

तुम्हारा अहम भाव है।

माना कि आज तुम

घमंड में फुदक रहे हो,

मृगतृष्णा बन उछल रहे हो

ये साल तुम्हारा है

सोचकर भ्रम में जी रहे हो।

शायद मुगालते का शिकार हो

गत वर्ष भी तो आये थे

अपना रंग दिखाये थे

फिर हमारे आगे दुम भी दबाए थे,

शायद ये साल तुम्हारा हो जाये

यही सोचकर तुम

अब इस साल भी चोरी चोरी

घुस आये हो मगर

अब तुम्हारे विनाश की बारी है,

तुम्हें मिटाने की हमने

कर ली पूरी तैयारी है।

टुकड़ों में तुमने साल को

अपना बनाने की कोशिशें

जरूर की है बेवकूफ,

न वो साल तुम्हारा बन सका

न ये साल तुम्हारा बन सकता है,

वो साल भी हमारा था

ये साल भी हमारा है,

अपने मुंह मियां मिट्ठू बनने का

तुम्हारा ख्वाब जरूर प्यारा है।



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