मैं एक नारी हूँ
मैं एक नारी हूँ
मैं एक नारी हूँ
अबला नहीं प्यारी हूँ।
सहती हूँ हर अन्याय
देती हूँ ना इक भी राय।
करती हूँ मैं रक्षा सबकी
चाहे वो हूँ बेटा, बहू या बेटी।
देती हूँ में सबका साथ
करती हूँ सबका इंसाफ।
लेती हूँ रूप काली, आम्बा, जगम्बा का
जब आती है इज्जत पर आंच।