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Nancy Sundrani

Abstract

3.5  

Nancy Sundrani

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ना राम है ना रहीम

ना राम है ना रहीम

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ना राम है ना रहीम 

यह एक गालतफहमी है


लड़ उठते है उस नाम के आगे

यह नाम नहीं भरम है  


अल्लाह ईश्वर को बाँटने की ज़िद करते हैं

यह दो जिस्म इक जान को अलग करते है


होली ईद और दिवाली मनाएगे यह साथ में कब

यह इन्सानियत दिखाऐगे कब


ऐसा देश कब बनेगा

यह तो मेरी सपने की दुनिया है !



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