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Nancy Sundrani

Tragedy

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Nancy Sundrani

Tragedy

वक़्त आ गया है

वक़्त आ गया है

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आज सूरज की किरने को देखने ज्लदी उठी थी

आंखों मे नई उम्मीद की किरण थी

मन की ये हलचल

दिल की खामोशी

आज कुछ ज्यादा ही खुश हो रहा था


एक आवाज़ आयी

एक औरत चीख रही थी

देख तो मर्द औरत पर हावी हो रहा था

उसके नाजुक केश खीचते हुऐ गलियां दे रहा था ।


फिर एक और आवाज़ आयी

इस बार भी यह आवाज़ एक औरत की थी,

पर इस बार उसके मान की आवाज़ थी।

वो बोली,


आखिर ऐसा क्याँ हुआ कि लड़की के जन्म होने की खुशी नहीं होती

आखिर ऐसा क्याँ हुआ कि लड़की को बोझ समझा जाता है

आखिर ऐसा क्याँ हुआ कि लड़कियो को पढ़ने लिखने नहीं देते है

आखिर ऐसा क्याँ हुआ कि लड़कियाँ घर से बाहर नहीं जा सकती

आखिर ऐसा क्याँ हुआ कि लड़का - लड़की में इतना फरक करते है

वक़्त आ गया है इन सारे सवालो का जवाब देना का

वक़्त आ गया है इन फरक को मिटाने का

वक़्त आ गया है सोच बदलने का।


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