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JAYANTA TOPADAR

Drama Tragedy Action

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JAYANTA TOPADAR

Drama Tragedy Action

गूंज...

गूंज...

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तो क्या हुआ

कि मेरा महफिलों में नाम 

उठता नहीं...!!!

तो क्या हुआ

कि मैं 'भीड़ का हिस्सा'

बन पाता नहीं...!!!


अरसा हो चुका है

कि मैंने भीड़ में

चलना बंद कर दिया,

क्योंकि अक्सर भीड़ में

हर खुद्दार इंसान की खुद्दारी को

बेरहम वक्त के 'पैरों तले'

मसल दिया जाया करता है...!


इस बेईमान वक्त की 'हेराफेरी' में

दुनिया भर की शिकायतें लेकर

यहाँ कई गुमनाम इंसानों ने

अपना आशियां बसाते-बसाते

ख्वाबगाह-ए-ज़िंदगी

नेस्तनाबूद होते देखा है...


यही हक़ीक़त का तक़ाज़ा है

कि हर किसी का

'अपना वक्त' आता ही है

जब उसे किसी को

दलिलें देने की

कोई ज़रूरत नहीं पड़ती...


बेशक़ 'वो दिन' ज़रूर आता है

जब खुद्दारी की 'गूंज'

इस भीड़ के 'बहरेपन: को

चीरकर आगे निकल पड़ती है...


इसी का नाम 'उलटफेर' है...

यही ज़िंदगीनामा है --

चाहे महफिल वाले इसे

कबूल करें या मुकर जाएं !

इसकी 'गूंज'

बहुत दूर तक सुनाई पड़ेगी...


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