रेगिस्तान के गांव में पहली बरसात का आनंद
रेगिस्तान के गांव में पहली बरसात का आनंद
गाँव में पहली बरसात
रेगिस्तान के गांव की है यह बात। यहां सूखा पड़ता है दिन रात।
बहुत वर्षों से सूखा पड़ा था साल दर साल बीत गए थे।
2 साल बाद सूखे से व्याकुल था गाँव,
चातक नजर से टकटकी लगाए आसमान की ओर देख रहे थे
तभी अचानक हुई बरसात लोग बहुत में हर्षाने लगे।
आखिरकार आई वह शुभ घड़ी,
काले बादलों ने किया आकाश को घेर।
पहली बूंदों ने छुआ ज़मीन को,
खुशियों से भर गए गाँव के चेहरे।
धरती ने पिया था सारा पानी।
प्यास से तड़प रहे थे जीव-जंतु,
आसमान से बरसात की थी निशानी।
सब यह बोल रहे थे
आखिरकार आई वह शुभ घड़ी,
बूंदें पड़ीं जैसे अमृत की धार,
धरती ने ओढ़ी हरियाली की चादर।
सबने मिलकर गाया आनंद का गीत,
मनाया उत्सव, किया प्रकृति का आभार।
बच्चे नाचे कूदे, बड़ों ने बजाई ताली,
हर दिल में उमड़ आई खुशियों की लहर।
चाय की प्याली, पकौड़ी की खुशबू, साथ मिलकर टोल टप्पे बाजी ।
हर घर में बसी बरसात की महक।
शाम की बारिश में भीगते खेत-खलिहान,
धरती के संग झूमता आसमान।
सबने मिलकर की खुशियों की बरसात,
गाँव में पहली बरसात का हुआ समारंभ।
बरसात लाई नई उम्मीदें, नए सपने,
हर दिल में जागी एक नई रौशनी।
सूखे की बिदाई, खुशियों की अगवानी,
गाँव में बरसात की आई है कहानी।
