Ravidutt Mohta
Tragedy
औरत
सारी उम्र
पहने रहती है
एक उँगली में
पूरी शादी
उसकी कलाइयाँ
भर दी जाती है
चूड़ियों से
नारी देह का
कोई अंग नहीं छोड़ा
पुरुष ने
अपनी हवस मिटाने को
यहां तक कोख भी
उसकी
पुरुष भर देता है
अपनी हवस से
बेचारी औरत
सारी उम्र रह जाती है
तरसती
एक पुरुष को।
ठोकर
कुछ नहीं होता
मैं संन्यास ल...
मैं सचमुच कुछ...
कत्ल से भरी य...
होंठ मेरे कित...
अंगूठी
हिचकी
वे दो बांहें
आत्मा
मेरे मन तुम खुद को न रोको । रहती दुनिया की तरफ देखो। मेरे मन तुम खुद को न रोको । रहती दुनिया की तरफ देखो।
कलम की जगह झाड़ू जो उनका हथियार था और मेरा कलम ! कलम की जगह झाड़ू जो उनका हथियार था और मेरा कलम !
गीत कौन सा मैं गाऊँ ? जग ये जैसे रो रहा है मातम घर घर हो रहा है। गीत कौन सा मैं गाऊँ ? जग ये जैसे रो रहा है मातम घर घर हो रहा है।
जिसके नीचे दफ़न है न जाने कितनी सारी मरी और सड़ी मानव सभ्यताएं! जिसके नीचे दफ़न है न जाने कितनी सारी मरी और सड़ी मानव सभ्यताएं!
जब मैं निकलता हूं सड़क पर ऐसा लगता है मैं हूं सरहद पर। जब मैं निकलता हूं सड़क पर ऐसा लगता है मैं हूं सरहद पर।
संसार में आकर तुम्हें, खुली आंखों से देखना होगा। संसार में आकर तुम्हें, खुली आंखों से देखना होगा।
रंडी चौराहे पर लगी कोई साफ़ सुथरी मूरत नहीं! रंडी चौराहे पर लगी कोई साफ़ सुथरी मूरत नहीं!
तन्हाई में करके याद, लड़के भी आँसू बहाते हैं, बेटेे भी घर छोड़ जाते हैं। तन्हाई में करके याद, लड़के भी आँसू बहाते हैं, बेटेे भी घर छोड़ जाते हैं।
शहरों सा झुलस रहा है अब गाँव पीपल रहा न चौक में, मिट गई ठंडी छांव! शहरों सा झुलस रहा है अब गाँव पीपल रहा न चौक में, मिट गई ठंडी छांव!
चलो आज फिर एक उन्वान लिखते हैं, तुम जुर्म करो और हम तुम्हारी शान लिखते हैं। चलो आज फिर एक उन्वान लिखते हैं, तुम जुर्म करो और हम तुम्हारी शान लिखते हैं।
तुम्हारा पता पूछती है। तुम कहाँ हो, तुम्हें एक नजर ढूढ़ती है। तुम्हारा पता पूछती है। तुम कहाँ हो, तुम्हें एक नजर ढूढ़ती है।
जैसे खोयी है गौरैया वैसे खोयी बिटिया रानी ! जैसे खोयी है गौरैया वैसे खोयी बिटिया रानी !
तुम्हारी आवाज़ और घर से बाहर होने पर तुम्हारा एहसास। तुम्हारी आवाज़ और घर से बाहर होने पर तुम्हारा एहसास।
मन तो करता है जितना दर्द दिया तुमने सूद समेत लौटा दूँ मन तो करता है जितना दर्द दिया तुमने सूद समेत लौटा दूँ
जो इन्हीं हिंसक लोगों ने बनाया था हिंसा, रोकने के लिए जो इन्हीं हिंसक लोगों ने बनाया था हिंसा, रोकने के लिए
पाप ही जीवन कलयुग का, और पाप ही है आधार ।। पाप ही जीवन कलयुग का, और पाप ही है आधार ।।
सबको अपनी-अपनी ही चिंता है, मौका परस्ती सब में है छाई।। सबको अपनी-अपनी ही चिंता है, मौका परस्ती सब में है छाई।।
खुद के स्वप्नों को स्वाहा होते देख रही हूँ , ले लो दहेज ,मैं मुफ्त बिक रही हूँ | खुद के स्वप्नों को स्वाहा होते देख रही हूँ , ले लो दहेज ,मैं मुफ्त बिक रही हू...
स्वर्गीय लिखना उन नाम के आगे जहां बड़े ही शान से कभी श्री लिखा करते थे। स्वर्गीय लिखना उन नाम के आगे जहां बड़े ही शान से कभी श्री लिखा करत...
उसके फटे चादर को उल्टा गया। आँखे फटी ऐसी ,के अंदर न गया। उसके फटे चादर को उल्टा गया। आँखे फटी ऐसी ,के अंदर न गया।