वे दो बांहें
वे दो बांहें
तुम दौड़ते रहे
अपनी दुनिया में
पराई दुनिया को पाने
गले लगाने
सारी उम्र
और तुम्हारे माता-पिता
खोते रहे तुम्हें
धीरे-धीरे
अपनी बाहों से
आज तुम
खो चुके हो
अपने माता-पिता को
तो पाकर इस दुनिया को
अनाथ से खड़े हो
अपने माता-पिता की
तस्वीर के सामने
जैसे खड़े थे वे अनाथ तब
जब धीरे -धीरे अनाथ हो रहे थे
उनके सामने तब...
जब यह दुनिया तुम्हें
लगती थी अपनी दुल्हन...