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Ravidutt Mohta

Tragedy

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Ravidutt Mohta

Tragedy

वे दो बांहें

वे दो बांहें

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तुम दौड़ते रहे

अपनी दुनिया में

पराई दुनिया को पाने

गले लगाने

सारी उम्र

और तुम्हारे माता-पिता

खोते रहे तुम्हें

धीरे-धीरे

अपनी बाहों से


आज तुम

खो चुके हो

अपने माता-पिता को

तो पाकर इस दुनिया को

अनाथ से खड़े हो

अपने माता-पिता की

तस्वीर के सामने

जैसे खड़े थे वे अनाथ तब

जब धीरे -धीरे अनाथ हो रहे थे

उनके सामने तब...

जब यह दुनिया तुम्हें

लगती थी अपनी दुल्हन...



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