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Zeba Rasheed

Tragedy Inspirational

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Zeba Rasheed

Tragedy Inspirational

चेहरे

चेहरे

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अब बदलते समय का रंग

चेहरों पर मल गया

स्वार्थ की धूल।

हम भूल गए

अपनी पहचान।


लुट जाते है घर बैठे लोग

खो जाते हैं बच्चे रोज।

बरसती है गोलियाँ

टूट जाते हैं मंगल सूत्र रोज।

हर तरफ है रूखापन।

ठंडी बयार के साथ ही

बेरहम गर्म हवा

काले बादल भी बरसाते है

नफरत हर पल।


मन ढूंढते है स्नेह के पल

प्रेम सागर में

शीतल अपनापन भरा जल

जिसमें

अंगूरी भर-भर

धो लें स्वार्थ की धूल।

उतार दे

साम्प्रदायिकता की धूल।



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