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Zeba Rasheed

Inspirational

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Zeba Rasheed

Inspirational

स्वार्थ में

स्वार्थ में

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पूछे क्या

मित्र

हाले दिल उनके

मिलते है हम

अपने आप से

रोज-रोज।


पलकों पर जिनके

ठहरे हो आशा के तारे

पूनम का चाँद

देखेगें वे

रोज-रोज।


लेकिन ए मित्र

रहते है मगन

स्वार्थ में जो लोग

शर्मिन्दा करते है

वतन को वे

रोज-रोज।


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