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Zeba Rasheed

Tragedy

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Zeba Rasheed

Tragedy

मजबूरी

मजबूरी

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इस दुनिया में झूठ को

सच होकर हँसते

और सच को रोते देखा है

क्योंकि इस दुनिया में

गरीबी और मजबूरी

मुंह बोली है।


समय से पूछो

समय ने क्या-क्या देखा है

गरीब के पसीने को

धूप में चमकते देखा है

अमीर के घर पीतल को

सोना कहते देखा है।


आजकल इस दुनिया में

सफेद लिबास वालों के

दिल पर काले धब्बे

और जिनके हैं फटे पुराने कपड़े

उनको शान से जीते देखा है।


यह है बड़ा सच

इस दुनिया में

गर्म छत और नर्म बिस्तर पर

लोगों को नींद के लिए तरसते

और जिनके सिर नहीं छत

उनको चैन से सोते देखा है।


आजकल इस दुनिया में

झूठ को सच होकर हँसते

और गरीब के सच को रोते देखा है।


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