बूढ़े बरगद
बूढ़े बरगद

1 min

319
पतझड़ आता- जाता है
नए मौसम होते है
नई कलियाँ खिलती है
मगर
बूढ़े बरगदो के
वही जज्बात होते है।
ठहरे जो छांव में राही
कोई भी मौसम हो
ये शीतल छांव ही देते है
वो सबसे लगाव रखते है
बूढ़े बरगदों के साए
सौगात होते है।
पैदा जो हुए और पले
पेड़ के नीचे वे ही नाग बन
जोड़े खोखली करते है।
फिर भी
बूढ़े बरगदों के
हौसले कम नहीं होते है।
जहां लोगों के दिल में
अविश्वास के पौधे
पनपते रहते है
कहीं हो
दोस्त या अपने
अब गले नहीं मिलते
वहाँ मधुर
रिश्ते नहीं होते है।
इसलिए
इस दौर में कहीं
बूढ़े बरगद नहीं
मिलते है।