असम्भव जीत
असम्भव जीत
1 min
282
समय बहता हुआ
काश
बंद हो पाता
मेरी मुट्ठी में
होती मेरी
असम्भव जीत।
हथेलियाँ मेरी
बांधे रहती है
इन लकीरों को
मेरी मुट्ठी में।
झीणें-झीलें क्षण
गिरने लगते है
बालू मिट्टी से।
कोई धागा
बांध पायेगा
इन लकीरों को।