STORYMIRROR

Sachin Tiwari

Action

4  

Sachin Tiwari

Action

सोच से परे

सोच से परे

1 min
411

सोच से परे हो जो, मैं एसी बात सोचता हूं 

दुनिया से दूर, एक हसीन रात खोजता हूं।

भरी दोपहरी में भी, छांव का अहसास हो 

ख्वाब लगे जो, मैं एसी हयात खोजता हूं 

जहाँ रोशनी घबराती हो, अंधेरों के खौफ से 

उस गहरे सन्नाटे में, मैं एक राग खोजता हूं 

ठहरा गया संसार जहां, वहीं मेरी शुरुआत है 

पत्थर फेंक के, आसमां में सुराख खोजता हूं 

मचल जो जाए दिल, कुछ करने की चाह में 

असंभव है जो होना, मैं एसी बात खोजता हूं 

भीड़ में जब होता हूं, मैं तभी अकेला रोता हूं 

वीरान बस्तियों में, अक्सर बारात खोजता हूं 

कहते है यही सब, कि एक नई सुबह आएगी 

नींद से है नफरत, मैं रूहानी रात खोजता हूं 

जेब से फकीर हूं, पर शौक मेरे नवाबी है 

रेत का महल मेरा, और मैं बरसात खोजता हूं 



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Action