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Surendra kumar singh

Action

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Surendra kumar singh

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तुमको देखा

तुमको देखा

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तुमको देखा तो 

हमको है ऐसा लगा

जागने में ही आया है

सपना नया।


एक बहती नदी सी हवा बह चली

प्यास ही हो गयी है नयी झील सी

हम सितारों को तकते रहे चाँद संग

चांदनी ले समुन्दर यहाँ आ रुकी।


तुमको छुआ तो

ऐसा लगा है हमें

जिंदगी जिंदगी से

गले मिल रही।


वो सितम की कहानी सुहानी हुयी

दिन में ही झूमकर रात रानी हंसी

देखते देखते बांध  पानी हुये

श्वांस की गंध सी ये फिजा भी लगी


तुमको पाया तो

हमको है ऐसा लगा

हमने दर्पण में देखा है

चेहरा नया।


खुद को देखे हुये हो।  गयी थी सदी

तुमको देखा तो याद आया चेहरा मेरा

ऐसा मौसम न देखा न पाया कभी

आ गयी रात में भोर है ये नयी


तुमसे बोला तो

हमको है ऐसा लगा

खुद कहे खुद सुने

ये कहानी नयी।


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