हौसले
हौसले
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कैसे रुक सकेगा, मेरे हौसलों का काफिला
जिद से जीत लूँगा, जो विरासत में न मिला
सफर शुरू किया है, अब अंजाम देखना है
लड़कर ले ही लूँगा, जो शराफत से न मिला
ये सच नहीं है, कि मुझे परवाह न किसी की
अकड़ से लूँगा मैं, ग़र नजाकत से न मिला
लहजे में सम्मान हो, है कोई इस काबिल नहीं
जंग जीतकर ही लूँगा, जो इनायत से न मिला
ईमान की कीमत, यहां कोई समझता ही नहीं
पाखंडी बन जाऊँगा, जो सदाकत से न मिला