कर्त्तव्य पथ
कर्त्तव्य पथ
कर्तव्यों की आग में, क्यों मुझे जलाया जाता है
मैं चलता नहीं हूं शौक से, मुझे चलाया जाता है
हंसना मुझे भी पसंद है, मैं भी हंसना चाहता हूं
एक हंसी के बदले, क्यों सौ बार रुलाया जाता है
समझौतों से भरा है जीवन, खुशियां कहां मिलेंगी
बंटते है जब ग़म अक्सर, हमें तभी बुलाया जाता है
गिर जाता हूं जब थक कर, कोई नहीं उठाता है
फिर से उठ कर चल सकूं, इसलिये सुलाया जाता है
