रोशनी कितना करूँ
रोशनी कितना करूँ
रोशनी कितना करूँ
यहा तो सब अंधे हैँ
मैल साफ क्यूँ करूँ
हमाम मे सब नंगे हैँ !
जलवा दिखाते हैँ ये
जो दिमाग से गुंडे हैँ
क्यूँकी महान तो अब ऐसे हैँ
जैसे काबुल के गधे हैँ !
पेमाना अब क्या होगा
जब हाथ ही गंदे है
जमाना वो बीत गया
जब सच के बन्दे हैँ !
कोई बात नहीं बदली
जो सोचा था ना टली
अब तो बस मौका है
जो देखो वो चौका है !
बिपदा है आन पड़ी
मुझको तो जान पड़ी
मिल गया है सब कुछ
ना मिलता वो अब कुछ !
