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Shailendra Kumar Shukla, FRSC

Tragedy Action Classics

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Shailendra Kumar Shukla, FRSC

Tragedy Action Classics

रोशनी कितना करूँ

रोशनी कितना करूँ

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रोशनी कितना करूँ 

यहा तो सब अंधे हैँ 

मैल साफ क्यूँ करूँ 

हमाम मे सब नंगे हैँ !


जलवा दिखाते हैँ ये 

जो दिमाग से गुंडे हैँ 

क्यूँकी महान तो अब ऐसे हैँ 

जैसे काबुल के गधे हैँ !


पेमाना अब क्या होगा 

जब हाथ ही गंदे है 

जमाना वो बीत गया 

जब सच के बन्दे हैँ !


कोई बात नहीं बदली 

जो सोचा था ना टली 

अब तो बस मौका है 

जो देखो वो चौका है !


बिपदा है आन पड़ी 

मुझको तो जान पड़ी 

मिल गया है सब कुछ 

ना मिलता वो अब कुछ !


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