मजा क्या है जीने में
मजा क्या है जीने में
मजा क्या है जीने मे
अगर रार ना हो
खता किसकी देखो
गर एकरार ना हो !
मुश्किल लाते हैँ ये लमहे
गर ठहर जाये तो
हमने भी खुद से बोला
तलबगार ना हो !
ज़ाते भी नहीं
वो बुलाते भी नहीं
किस्मत भी साथ देती है
गर गुनहगार ना हो !
ज़माने मे कोई
बुरा क्यूँ हो गया
अंजाने रिश्तो
की पहचान देकर !
हाँ, वो आशिक
बुरा होगा ज़रूर
गर उससे प्यार का
इजहार ना हो !