"जग आबोहवा ने छीन लिया मित्र"
"जग आबोहवा ने छीन लिया मित्र"
दुनिया की आबोहवा ने, छीन लिया दोस्त प्यारा
इस दगाबाज दुनिया ने तोड़ दिया दिल हमारा
एक ही तो मित्र था, एक ही तो हृदय में चित्र था
जग की आबोहवा ने लूट लिया, आंखों का तारा
कुंदन पर अब कुछ ऐसे इल्जाम लगने लगे है,
यह पारस पत्थर भी हो गया है, अब तो बेचारा
इस बदली हुई आबोहवा ने तोड़ दिया, किनारा
अब तो यह दरिया भी हुआ है, प्यास का मारा
उसे भी चाहिए, अब तो किसी कंधे का सहारा
बिगड़ी हुई आबोहवा ने, छीन लिया मीत प्यारा
अब तो रोशनी में भी दिख न रहा, कोई हमारा
इस अंधेरे से भी ज़्यादा कृष्ण हो गया, नज़ारा
आबोहवा ने पास की नज़र को किया बेसहारा
नजदीक होकर भी हो गया, मित्र हमारा पराया
दुनिया की आबोहवा ने छीन लिया, दोस्त प्यारा
टूटे हुए आईने से दिख रहा है, वो अक्स पुराना
जिसमें समाया, कभी पूरा का पूरा जहां हमारा
आबोहवा ने लील लिया, मासूमियत की धारा
आज, अच्छाई, रोशनी को मिला हुआ है, संथारा
साखी जग से नहीं, तेरी गलत आदतों से हारा
तेरे गलत मार्ग चुनने से, हृदय में दुःख अपारा
वरना साखी शबनम में वो जलता हुआ, अंगारा
कितनी गंदी आबोहवा झोंका क्यों न हो यारा
अगर तुझे विश्वास है, न मुझ पर अटूट सा यारा
फिर भले खुद मिट जाऊं, तुझे बनाऊंगा वो इत्र
जिसकी खुशबू से महकेगा, हर बुरे से बुरा चरित्र
तेरे लिये बन जाऊंगा, दुनिया के लिये तलवारा
गलत राह छोड़ दे, इससे न होगा अहित तुम्हारा
आधी रात को आऊंगा, दिल से आवाज तो दे, यारा।
