मेरे हिस्से की अज़ाब न छीन मेरे हिस्से की अज़ाब न छीन
पैदल भी चला तो शायद मौत को हरा दूँ मैं सफ़र-ए-ज़िन्दगी में, ठहर जाऊँ कैसे पैदल भी चला तो शायद मौत को हरा दूँ मैं सफ़र-ए-ज़िन्दगी में, ठहर जाऊँ कैसे
अब यादों की तस्वीर से निकलकर अकेले में मिल जाओ न थोड़ी। अब यादों की तस्वीर से निकलकर अकेले में मिल जाओ न थोड़ी।
जिसे तुम किसी से छीन रहे हो उसे तो किसी ने कमाया है जिसे तुम किसी से छीन रहे हो उसे तो किसी ने कमाया है
माँ तो माँ ही है आपकी माँ ही रहेगी माँ होने का हक अब छीन भी कहाँ पायेगी माँ तो माँ ही है आपकी माँ ही रहेगी माँ होने का हक अब छीन भी कहाँ पायेगी
कभी - कभी हमें, उस चीज की आभाश सपनो में ही हो जाता है, जिसके बारे में हम कभी सोचे भी नहीं होते हैं। ... कभी - कभी हमें, उस चीज की आभाश सपनो में ही हो जाता है, जिसके बारे में हम कभी सोच...