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Ajay Prasad

Others

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Ajay Prasad

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न छीन

न छीन

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हमसे हमारे ख्वाब न छीन

काँटों भरी गुलाब न छीन ।

जिंदा तो हूँ गफलत में सही

यादों की ये सैलाब न छीन ।

बेहद सुकून से रहते हैं यहाँ

सुखे फूलों से किताब न छीन ।

कुछ तो रहम कर मेरे खुदा

मेरे हिस्से की अज़ाब न छीन ।

कहने दे मुझे नाकाम आशिक़

रकीबों से मेरा खिताब न छीन ।

हक़ है उन्हें भी बात रखने का

मजलूमों से इंकलाब न छीन ।

नये दौर मे तरक्की है जाएज़

मगर बच्चों से आदाब न छीन ।

जिंदा रख अजय अपने को

खुद से दिले बेताब न छीन



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