मत छीनो किसी की खुशियों को
मत छीनो किसी की खुशियों को
वो जो आज तुम्हारी बांहों में है
क्या तुमने किसी और से छीना है
खुश हो खुशियों को छीन कर
आखिर ये कैसा जीना है
किसी और से खुशियां छीन कर
तुम खुद को खुशनसीब समझते हो
इतने भी खुदगर्ज मत बनो क्योंकि
तुम गैरों की खुशियों पे पलते हों
जिसे तुम किसी से छीन रहे हो
उसे तो किसी ने कमाया है
किसी गैर के अपने को छीन कर
तुमने उसे अपना बनाया हैं
किसी की आंखों में आंसू देकर
अपने ख्वाबों को सजा रहे हों
तुम जानते हो मैं क्या कह रही हूं
क्यों खुद को बेवकूफ बना रहे हो
अरे जो तुम्हारे हिस्से में होगा
वो एक दिन तुम्हें मिल जाएगा
मत छीनो किसी की खुशियों को
वो तुम्हारा कभी नहीं हो पाएगा