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Manju Rani

Drama Tragedy

4  

Manju Rani

Drama Tragedy

चाहत

चाहत

2 mins
329


उसने नई की चाह में

अपने कुटुंब को दाव पर लगा दिया ।

चाहत के इस खेल में

अपनी सुताओं व भार्या को घाव दे दिया ।

डूबकर नव लोचन में

अपने ही संस्कारों को जर-जर कर दिया ।

अग्रिम नववधू के प्रेम में

अपनी कुलवधू को अपमानित कर दिया ।

किसी की जुल्फों की छाँव में

अपने सात फेरों को भस्म कर दिया।

उलझ उसकी लटो में

अपना जीवन ही तमाम कर दिया ।

उर्वशी के प्रेम जाल में

अपने घरौंदे में क्लेश का बीज बो दिया ।

उसके कजरारे नैनों में

तनया के कलेजे का दर्द अनदेखा कर दिया ।

मंदाकिनी के मोह में 

अपनों की मुस्कुराहट को छीन दफना दिया ।

उसके इश्क में

अपने ही नीड को पैरों तले रौंद दिया ।

उसकी बांहों के झूले में

बरसों के रिश्तों को झूले पे लटका दिया ।

उसका विश्वास जितने में

भार्या का विश्वास खंडित कर बिखेर दिया ।

मोहिनी की मीठी बातों में

अर्द्धांगिनी को अवांछित कथन सुना दिया ।

उसकी मदहोशी में

उस कोयल को अपने घर में घुसा दिया ।

उसकी गिरफ्त में

अपनी आत्मजाओं को बेघर कर दिया ।

उसके छलावे ने

मासूमों को मौसम के थपेड़ों ने दुर्गा बना दिया ।

पर उसने

अपने अंतर्मन को ऐसा क्या समझा दिया

कि नई की चाह में

जग की बरसों की रीत को तार-तार कर दिया ।


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