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Phool Singh

Drama Inspirational

4  

Phool Singh

Drama Inspirational

कड़वा सच -5

कड़वा सच -5

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बच्चों का मिलता मात-पिता का सबकुछ, प्रकृति का ये नियम सही है 

पेड़ लगाया किसी और ने, छांव, फल-फूल को पाता कोई और है।।


भटकना पड़ता, रोजी-रोटी की खातिर, संघर्ष का न होता कोई छोर है 

आस -विश्वास संग श्रद्धा रखना, ये अहसान-फरमोशी का चला दौर है।।


परिश्रम किसी का कर्म किसी का, आराम, सुख-सुविधा को पाता कोई और है

गुनाह होता सरल-साधारण रहना, उसका, फायदा उठाता हर कोई है।।


सबसे सस्ता श्रमिक नारी, उस जैसा न त्यागी-बलिदानी कोई है

ममतामयी है जग जननी वो, पर, न अहमियत उसकी कहीं है।।


अपना-पराया कोई न बंधु, जो वक्त पे खड़ा बस अपना वही है

खुश हो जाए जो तेरी तरक्की देखकर, विरला दोस्त ऐसा होता कोई है।।


अपने दुख से दुखी न होते, सुख से तेरे दुखी सभी है 

इज्जत, आबरू उछाल औरों की, खुश होते जैसे बेदाग वही है।।


दिन में मिलते है जाने कितनों से, दिल में उतरे जो सही है

दोस्ती होती अपने जैसों से, नहीं तो होता, धोखा, फरेब वही है।। 


बढ़ चढ़ कर बड़ी बातें करते, हमसे बड़ा न और कोई है 

लेकिन, सच तो ये है यारों, जो होते है वो कहते नहीं है।।


रहा देख रहे एक गलती की, रूप अनेक पर चेहरे वही है

उतर जायेंगे उनके मुखौटे, बस, किस्से बनने की देर कहीं है।।


करता-करता मर जायेगा, मार्ग में बुराइयां तेरे मुंह बाए खड़ी है

क्या करता तू, क्या तेरी दशा है, बस, परिणाम को चाहता हर कोई है।।


इंसान कोई भी बुरा न होता, बस सोच-सोच का भेद कहीं है

खुश होता दुर्जन चोट को देकर, सजन में दया, उदारता प्रेम वही है।।


अमीर से, रिश्ते जोड़े, मित्र बनाते, पर, गरीब के हाल की न सूद कोई है

धन ही ईश्वर, प्रेमी, सैंया, निर्धन को न आज पूछता कोई है।।


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