ख्याल, खत और खिड़की
ख्याल, खत और खिड़की
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खिड़की के पास बैठ
ख्यालों में खत लिखती हूं,
जाहिर कैसे करूं अब खत में
क्या लिखा,
लिखा मैंने इतना की
तुम हो, मैं हूं , दुनिया है
अब तुम समझना कि
तुम, मैं, दुनिया
इन शब्दों में कितनी गहराई है
और तुम समझ गए
तो समझ जाना
पूर्ण और सम्पूर्ण
जैसे हमारे लिए ही बने हैं
और तुम समझ गए तो
समझ जाना
खिड़की के पास से
जो ख्यालों की दुनिया में
खत लिखा हैं
उससे ही तुम हो
उससे ही मैं हूं
उससे ही दुनिया है।