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Kumar Gaurav Vimal

Abstract Fantasy

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Kumar Gaurav Vimal

Abstract Fantasy

वो कहते हैं

वो कहते हैं

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वो कहते हैं...


वो कहते है शख़्सियत उनकी शब्दों में समाती नहीं,

वो कहते है समुद्र की लहरे नदियों में बह पती नहीं


पर्वत से ऊंचे व्यक्तित्व को किसी की भी तलाश नहीं,

वो कहते हैं बदकिस्मत है वो रहते जो उनके पास नहीं


वो कहते हैं तो सच ही होगा, सच होंगे उनके अल्फ़ाज़,

वो कहते है मानो या ना मानो पर मुझ सा नहीं है कोई खास


लिखते हुए ये बोल कलम क्यों मेरा शरमाया है,

वो कहते हैं एक महापुरुष आज दुनिया में आया है


वो कहते हैं सब कहते हैं कहते रहते हैं दिन रात,

आज जो मौका मिला है तो लिख दूँ मैं अपने जज्बात


मैं कहता हूं कि आज के दिन सब दे आपको आशीर्वाद,

आप कहें आज सबको सिर्फ और सिर्फ धन्यवाद



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