असीम करुणाकर
असीम करुणाकर


ये वेदना व्यथित
मन- प्राण आज,
मॉंगते करुणाकर प्रभु का
असीम करुणा दान।
दे दो उसको
अपनी पावन करुणा कोर
के दो कण प्रभु
भर दो जीवन में उल्लास।
भर उठे स्वर
गा उठे गीत,
तव पूजा में
हे करुणानिधि प्रभु !
गूँज उठे
सप्तम स्वर में वीणा,
पुलकित हो जायें
मन प्राण सखे ।