निस्स्वार्थ भाव
निस्स्वार्थ भाव


सूर्य रोशनी दे रहा
पृथ्वी घूम रही ,
हवाएँ बह रहीं
इनका कोई स्वार्थ नहीं।
प्रकृति का हर पदार्थ
लगा है विशाल कर्मों में ,
प्रकृति के गुण बड़े अद्भुत
ध्यान हमने कभी दिया नहीं ।
देखें जरा ध्यान से
स्वार्थ का पूर्ण अभाव है ,
प्रकृति का छोटे से छोटा कण
लगा हुआ है अपने काम में ।
निस्स्वार्थ भाव से कर्म
यह प्रकृति का विज्ञान है,
हम भी प्रकृति का हिस्सा हैं
हम भी करें निस्स्वार्थ कर्म ।
कर्म करें बिना स्वार्थ भावना के
बिना कारण किये कर्म होंगे निस्स्वार्थ,
महसूस होगा आनन्द और सुकून
जीवन बनेगा शान्त सफल ॥