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chandraprabha kumar

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अलबेली ऋतु

अलबेली ऋतु

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पावस ऋतु आई

हरियाली सब ओर छाई,

नयनों को सुकून देती

प्रकृति नटी इठलाई ॥


फूले सकल तरु पात

झूमी डाल सुकुमार,

आई सोंधी सुगन्ध

मचली मन्द समीर ।


प्रकृति का अनुपम रूप

वर्षा की मन्द फुहार,

मन मोरा मोहे अनूप

यह बौरायी बहार ॥


भीगे तरू झूमें

पुरवा चले सुखदाई,

यह ऋतु अलबेली

लेकर आई मनोहरताई ॥


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