सोने की चिड़िया- भारत नवनिर्माण!
सोने की चिड़िया- भारत नवनिर्माण!
नोट की समस्या बड़ी विकट है,
शायद देश पे आई ये संकट है।
संकट नहीं संकट का निवारण है शायद,
अच्छे-अच्छों के होश हो रहे गायब।
अचानक चौकाने से रुक गयी हृदय गति,
कालेधन को कैसे खपाए काम करती नहीं मति।
साधारण लोगों पे टूटा दुख का पहाड़,
जब से बंद हुए नोट 500 और 1000।
घर में अचानक खाली हो गया राशन का डब्बा,
लाइन में खड़े है परसो से अब्बा।
सफर में पाकिट में पैसा है मगर,
नोट अब चलता नहीं कैसे करें गुज़र।
कैसे करें बिटिया की जो होनी है शादी,
पैसा है पर मिलता नहीं चैन नहीं ज़रा भी।
मरीज का इलाज कराने लाए अस्पताल,
पुराने नोट नहीं लेंगे डॉक्टर ने किया इंकार।
अब तो भिखारी भी नहीं लेता नोट 1000,
फेककर चलता बनता देनेवाले के द्वार।
पत्नियों पे आ गयी आफत,
नोट निकलने लगे फटा-फट।
देती अब सरकार को गाली,
इनका खजाना हो गया खाली।
अपने धन को छिपा नहीं पायी,
जोड़ी थी जो पायी-पायी।
शिकंजा कसा इंकम-टेक्स का,डर गए दो नंबरी,
कैसे करें खपत नोट की जो है घर में भरी।
जेवर घहनों की दुकान, या हो रिज़र्वेशन का संस्थान,
छिपा नहीं पाओगे कुछ,सब कुछ आ जाएगा अकाउंट।
8 नवम्बर से 30 दिसम्बर तक,पथ बहुत विकट है,
कालेधन वालों पर आ गयी संकट है।
राजनीतिज्ञ आतंकवादी सेठ साहूकार,
धन्ना सेठ भिखारी जिसकी नोटों की अंबार।
कौन कहता है भारत सोने की चिड़िया नहीं है ?
लक्ष्मी का निवास यहाँ था, अब भी यहीं है।
विदेशों से पैसा लाने को हम हो रहे बेचैन,
धन कुबेर हैं अपने देश में कैसे मिलाएँ नैन।
अपने ही लोगों के कारण अर्थव्यवस्था चरमराई है,
दुखती हुई नस अब पकड़ में आई है।
होगा अब समुचित उपचार,और मिटेगा भ्रष्टाचार,
फिर चहकेगी सोने की चिड़िया
देश अपना होगा सबसे बढ़िया।
इसी गंगाजल से होगी देश की सफाई,
निर्मल होगा देश हमारा, गूँजेगी शहनाई।
