इतवार
इतवार
तारीख थी तीन,
दिन था इतवार,
आलू ने पहना कुर्ता लाल,
छुट्टी का दिन बादल भी साफ,
आलू निकला घर से बाहर,
भिंडी मिली उसे सड़क के उस पार,
पूछा चलेगी मेरे साथ,
भिंडी बोली आज नही आज करूंगी घर को साफ,
आलू थोड़ा जो आगे बड़ा,
बैगन भैया खड़ा मिला,
पूछा चलो ना मेरे साथ,
बैगन बोला मुझे है ज़ुखाम,
आच्छू!! आच्छु!!
निराश चला जाता आलू,
कुछ दूर पर मिले टमाटर बाबू,
बोला क्या चलोगे मेरे साथ,
टमाटर बोला जाना है मुझे शहर से बाहर,
दुखी हुआ अब आलू,
चलने लगा धीमे धीमे आलू,
सड़क किनारे नारियल खड़ा था,
आलू थोड़ा खुश हुआ था,
पूछा आप चलोगे साथ,
नारियल बोला आज नही आज काटूंगा अपने लंबे बाल,
चला जो थोड़ी दूर आलू,
मिले उसे प्याज चाचू,
बोला क्यों हो दुखी दुखी,
कहां तुम्हारी हसी गई,
आलू बोला कोई नही चलता मेरे साथ,
चाचा बोले मैं चलूंगा तुम्हारे साथ,
उछलता कूदता आलू,
बोला सबसे प्यारे है मेरे प्याज चाचू।