प्रिय आ जाओ तुम जीवन में..
प्रिय आ जाओ तुम जीवन में..
प्रिय आ जाओ तुम जीवन में..
छम छम सी पायल छनकाती..
बस जाओ मेरी धड़कन में !
सूनी बगिया का फूल बनो..
महका दो घर उपवन को!
पर देखो..
तुम किसी की बातों में मत आना!
प्रेम का कोई पैमाना मत बनाना!
क्योंकि..' मोहब्बत हो गई' कहने से,
मोहब्बत नहीं होती..
यह लफ्जों से परे कोई बात है...
जब जब तुम चाहो.. जानना..
कितना है प्रेम...
झांक लेना मेरी आंखों में..
अपनी उंगलियां फंसा देना..
मेरी उंगलियों में..
कंधे पर सर टिका देना मेरे,
तुम भीग जाओगी खुद-ब- खुद
प्यार के गहरे अहसास में..
नहीं मंजूर है मुझे कोई..
शर्त तुम्हारी!
क्योंकि प्रेम..
कभी बंधनों से तय नहीं होता!
जब भी तुम आवाज दोगी..
मुझे पहले ही मौजूद पाओगी.
उड़ना चाहोगी जब भी..
उन्मुक्त आकाश में..
संग उड़ते मुझको पाओगी!
मैं सागर सा हूँ अटल खड़ा!
बन सरिता मुझ में मिल जाओ!
कितना भी बंधन मुक्त रहो..
बस प्रेम बंध में बंध जाओ!
ये घर अब अपना साझा है!
अपना हर सुख दुख साझा है!
मैं राह सजाकर बैठा हूँ..
मैं फूल बिछाकर बैठा हूँ...
प्रिय आ जाओ तुम जीवन में..
छम छम सी पायल छनकाती,
बस जाओ मेरी धड़कन में..